भारतीय टीम के सभी खिलाड़ी प्रशंसा के काबिल हैं। जिन्होंने बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से कंगारूओें पर शिकंजा कसा और पहला एक दिवसीय मैच हारने के बावजूद भी उन्होंने अगले दो मैचों में उन्हें चारों खाने चित्त कर सीरीज पर कब्जा कर लिया।
हालांकि पहले मैच मंे भारतीय टीम पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव बन गया था जिससे उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा था मगर जल्दी ही उन्हें अपना दम-खम याद आ गया और दूसरे मैच को पूरी ताकत लगाकर जीत लिया।
निर्णायक मैच अत्यन्त संघर्ष मय होगा ऐसा सभी मान रहे थे। मगर भारतीय टीम ने उसे भी अत्यन्त सहज और सरल बनाकर जीत लिया। निःसंदेह स्मिथ, लाबुशेन और कैरी ने मिलकर मैच को रोमांचक बनाया मगर अन्य बल्लेबाजों से पर्याप्त सहयोग न मिलने के कारण उनकी टीम का स्कोर 300 के आंकड़े को न छू सका। बुमराह की अत्यन्त कसी हुई गेंदबाजी ने कंगारूओं को दबाव में ला दिया जिसका लाभ शमी और जडेजा ने उठाया और कंगारू टीम के विकेटों की झड़ी लगा दी।
यही तरीका है अपने विरोधियों को काबू करने का। मगर आस्ट्रेलियाई गेंदबाज इस नीति को नहीं अपना सके। रोहित, लोकेश, विराट और श्रेयस ने अपनी उनकी हर चाल को विफल कर दिया। रोहित और विराट की आक्रमकता ने भारतीय टीम के स्कोर को पंख लगा दिए और भारतीय टीम ने 15 गेंदें शेष रहते लक्ष्य को हासिल कर लिया।
ये विजय भारतीय खिलाड़ियों के परिपक्वता को दिखाती है। किसी भी खिलाड़ी ने किसी दिग्गज खिलाड़ी की अनुपस्थिति को जरा भी महसूस नहीं होन दिया। एक सर्वश्रेष्ठ टीम से सभी यही आशा रखते हैं जो भारतीय टीम ने पूरी की। टीम के सभी खिलाड़ी बधाई के पात्र हैं।
समीक्षक
सुरेन्द्र पंकज
क्रिकेट कोच